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वर्किंग पैरेंट्स बच्चों की परवरिश करते समय ध्यान रखें ये बातें, आपका लाडला रहेगा बुरी संगत से दूर

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वर्किंग पैरेंट्स बच्चों की परवरिश करते समय ध्यान रखें ये बातें, आपका लाडला रहेगा बुरी संगत से दूर

Simple Ways to Raise a Respectful Child: कामकाजी पैरेंट्स को अपने बच्चों को लेकर हमेशा एक चिंता परेशान करती रहती है कि उनके बच्चे उनके पीछे किसी बुरी संगत में न पड़ जाए। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जिन पैरेंट्स के पास अपने बच्‍चों के ल‍िए समय नहीं होता, वे बुरी आदत और संगत के श‍िकार हो जाते हैं। अगर माता-पिता होने के नाते आपको भी यही टेंशन हमेशा बनी रहती है तो ये कुछ असरदार टिप्स आपकी उलझन को दूर करने में मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं वर्किंग पैरेंट्स अपने बच्चों की परवरिश करते समय किन बातों का ध्यान रखें। 

बच्‍चे के रूटीन पर दें ध्‍यान-  
सभी कामकाजी पैरेंट्स को अपने बच्चों के लिए पूरे दिन का एक रूटीन जरूर सेट करके रखना चाहिए। ऐसा करने से आपका बच्चा व्यस्त रहने के साथ टाइम से खाएगा, सोएगा और पढ़ेगा। घर से बाहर अगर हैं तो अपने बच्चे से वीडियो कॉल पर भी बात कर सकते हैं। ऐसा करने से वो घर में अकेलापन महसूस नहीं करेगा।

बच्चों के साथ शेयर करें अपनी परेशानी-
कई बच्‍चे, अपने माता-प‍िता को सिर्फ इसलिए पसंद नहीं करते क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके माता-पिता के पास उनके लिए कभी समय नहीं होता है। ऐसे में बच्‍चे को काम करने के पीछे अपनी जरूरी वजह बताएं। बच्चे के ल‍िए आपके काम की अहम‍ियत को समझना बेहद जरूरी है।   

बच्‍चे के लिए भी निकालें समय- 
बच्‍चे के साथ अपने र‍िश्‍ते को बेहतर बनाने के ल‍िए आपको उसे उचित समय देना चाह‍िए। इसके लिए आप बच्‍चे के साथ कोई हॉबी क्‍लॉस ज्वाइन कर सकते हैं या फिर बच्‍चे के साथ वॉक या खेलने के लिए निकल पड़ें। 

बच्‍चे को अकेला न छोड़ें- 
माता-प‍िता अगर दोनों ही वर्किंग हैं, तो बच्चे की देखरेख करने के लिए उसके पास किसी भरोसेमंद व्यक्ति जैसे दादा-दादी या नाना-नानी को छोड़कर जाएं।अप‍र‍िच‍ित व्‍यक्‍त‍ि के साथ बच्‍चे को छोड़ने पर वह डर सकता है।       

बच्‍चे पर रखें नजर- 
अगर आप अपने बच्चे के नेचर में अचानक कोई बदलाव महसूस कर रहे हैं उदाहरण के लिए जासे ज्‍यादा गुस्‍सा आना, च‍िड़च‍िड़ापन महसूस होना, अचानक चुप हो जाना तो हो सकता है उसे अकेलापन महसूस हो रहा है। कई बार बच्‍चे अपनी समस्‍या समझा नहीं पाते।  ऐस में आप बच्‍चे से बात करें। उसकी हर समस्‍या को प्‍यार से सुनें और उसका हल न‍िकालें।