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चीन से आई इस खास बीमारी से हरियाणा के किसान चिंतित, कई एकड़ फसल हो सकती है बर्बाद

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चीन से आई इस खास बीमारी से हरियाणा के किसान चिंतित, कई एकड़ फसल हो सकती है बर्बाद

हरियाणा में धान का बहुत सारा रकबा लगाया जाता है और इन सब मे धान की फसल सबसे प्रमुख होती है। हरियाणा का बासमती की चमक पूरी विश्व भर में प्रसिद्ध है ऐसे में धान में एक खास किस्म का वायरस किसानों के लिए सरदर्दी बना हुआ है। इस वायरस का नाम है Southern Rice Black Streaked Dwarf Virus जिससे कई एकड़ की फसल बर्बाद हो सकती है। इस वायरस की सरल भाषा है धान का बौनापन यानी करीब 40% तक धान के पौधे छोटे हो जाएंगे और फिर पैदावार नही दे पाएंगे।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉक्टर प्रदीप ने बताया कि खरीफ 2022 लो धान की फसल में एक नई बीमारी आयी है जिससे अजीबोगरीब टिड्डे उतपन्न हो रहे है जिससे धान मे बौनापन दिखाई दे रहा है। होपर धान की फसल का एक गंभीर कीट है, इससे उपज में बड़ा नुकसान होता है। इसके चलते पैदावार लगभग 30 प्रतिशत घट जाती है।


How To Control (बचाव के तरीके)

वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर खेत मे खेत में व्हाइट बैक्ड प्लांट हॉपर (White Backed Plant Hopper in Paddy Crop) दिखाई पड़ता है तो सबसे पहले उसके बचाव के लिए पैक्सोलैम 10 एससी (ट्राइफ्लूमेजोपाइरिन) 235 मिली प्रति हेक्टेयर या ओशीन टोकेन 20एसजी (डाइनोटेफरॉन) 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर या चेस 50 डब्ल्यू जी (पाइमेट्रोजीन) 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिडक़ाव करें। बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए पौधे की आधार में ही दवा का छिड़काव करें।

कितना प्रतिशत एरिया हुआ प्रभावित

कृषि विभाग के फील्ड स्टाफ ने एक सर्वे किया जिसमें हरियाणा के खेतों में फैल रही इस बीमारी से करीब 2 से 2.5 प्रतिशत क्षेत्र प्रभावित पाया गया है। लेकिन किसानों ने खुद से जो आंकलन किया उसके मुताबिक ये काफी ज्यादा हो सकता है। कृषि विभाग के अधिकारी ने ये अपील की है किसानों से कि इस बीमारी के लिए उपयुक्त कदम उठाए और सबसे जरूरी सरकार से संपर्क साझा करें ताकि हम हर मुमकिन प्रयास कर सके।

धान का बौनापन (Paddy Dwarfing)- धान में नई बीमारी के चलते पंजाब और हरियाणा में धान के पौधे बौने (Dwarfing) हो गए. वैज्ञानिकों ने बताया कि ‘सदर्न राइस ब्लैक स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस’ (SRBSDV) फसल को इस बीमारी से प्रभावित करने वाला प्रमुख वायरस माना जाता है। इसका नाम दक्षिणी चीन के नाम पर रखा गया था, जहां इसे पहली बार वर्ष 2001 में रिपोर्ट किया गया था। धान के बौने रोग के विशिष्ट लक्षण पौधे का बौनापन और पर्णसमूह पर सफेद क्लोरोटिक धब्बों का दिखना है। पौधों का बौनापन सामान्य रूप से 10 से 25 फीसदी और कुछ मामलों में 40 फीसदी होने का मामला भी सामने आया था।