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यासीन मलिक की पेशी में हुई चूक, तिहाड़ जेल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट सहित 3 अधिकारी निलंबित'

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यासीन मलिक की पेशी में हुई चूक, तिहाड़ जेल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट सहित 3 अधिकारी निलंबित'

आतंकी फंडिंग मामले के दोषी और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के मामले में शनिवार को चार तिहाड़ जेल के अधिकारियों को निलंबित कर दिया। निलंबित अधिकारियों में एक डिप्टी सुपरिटेंडेंट सहित तीन जेल अधिकारी शामिल हैं। तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को एक मुकदमे की सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय लाये जाने के बाद भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को शुक्रवार को पत्र लिखकर 'सुरक्षा में गंभीर चूक' से अवगत कराया है।

मेहता ने लिखा है, ''मेरा स्पष्ट विचार है कि यह सुरक्षा में गंभीर खामी है। आतंकवादी और अलगाववादी पृष्ठभूमि वाला यासीन मलिक जैसा व्यक्ति जो कि न सिर्फ आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के मामले का दोषी है, बल्कि जिसके पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध हैं, भाग सकता था या उसे जबरन अगवा किया जा सकता है या फिर उसकी हत्या की जा सकती थी।'' उन्होंने कहा कि अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती तो उच्चतम न्यायालय की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती।

मेहता ने यह रेखांकित किया कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधान 268 के तहत मलिक के संबंध में आदेश पारित किया है जो जेल प्रशासन को सुरक्षा कारणों से दोषी को जेल परिसर से बाहर लाना निषिद्ध करता है। उन्होंने लिखा है, ''यह ध्यान में रखते हुए कि जब तक सीआरपीसी की धारा 268 के तहत जारी आदेश प्रभावी है, जेल अधिकारियों के पास उसे जेल परिसर से बाहर लाने का अधिकार नहीं है और न हीं उनके पास ऐसा करने की कोई वजह थी।''

मेहता ने लिखा है, "मैं समझता हूं कि यह मुद्दा इतना गंभीर है कि इसे व्यक्तिगत रूप से फिर से आपके संज्ञान में लाया जाना चाहिए ताकि आपके द्वारा इस संबंध में समुचित कार्रवाई की जा सके।" न्यायमूर्ति सूर्यकांत तत्कालीन केन्द्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद की 1989 में हुई अपहरण की घटना पर जम्मू की निचली अदालत द्वारा 20 सितंबर, 2022 को पारित आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, उसी दौरान यासीन मलिक अदालत कक्ष में उपस्थित हुआ।

सीबीआई ने जम्मू की अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की है। निचली अदालत ने निर्देश दिया है कि यासीन मलिक को सुनवाई की अगली तारीख पर उसके समक्ष पेश किया जाए और रुबैया सईद अपहरण मामले में उसे अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह का अवसर भी दिया जा सकता है। अपने पत्र में सॉलिसिटर जनरल मेहता ने घटना की पूरी जानकारी दी है।