धूप में भी बाढ़ क्यों झेल रही दिल्ली, यमुना में इतनी स्पीड से कैसे बढ़ा पानी; इनसाइड स्टोरी

पंजाब में 16 तक छुट्टी, दिल्ली की कॉलोनियों में पानी;बाढ़ का कहर
एक सवाल यह भी है कि हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ते ही कैसे दिल्ली में बाढ़ आ गई, जबकि इससे पहले राजधानी तक पानी आने में टाइम लगता था। इसकी वजह पर्यावरणविद् अतिक्रमण और अवैध निर्माण को मानते हैं। हरियाणा से दिल्ली तक यमुना की तलहटी में कॉलोनिया बसा लेने से नदी का प्रवाह क्षेत्र कम हो गया है। ऐसे में पानी बहने के लिए कम ही जगह बची है। कम जगह में ज्यादा पानी होने से उसकी गति बढ़ गई है और हथिनीकुंड में पानी छोड़ते ही वह दिल्ली आ पहुंचा। यही नहीं दिल्ली में भी बड़े पैमाने पर यमुना में अतिक्रमण और अवैध निर्माण के चलते निचले इलाकों में पानी भर गया।
हथिनीकुंड बैराज से इतनी जल्दी कैसे दिल्ली आया पानी
इससे पहले राजधानी से 180 किलोमीटर की दूरी पर बने हथिनीकुंड बैराज से दिल्ली आने में पानी को दो से तीन दिन लग जाते थे। तब तक कुछ पानी का लेवल कम हो जाता था और बाढ़ से निपटने की तैयारियां भी हो जाती थीं। इस बार इतना वक्त ही नहीं मिला। इसके अलावा दिल्लीवासियों को यमुना के कम बहाव की आदत है। इसके चलते बड़े पैमाने पर कश्मीरी गेट से लेकर डीएनडी फ्लाईओवर तक यमुना के किनारे तमाम अवैध कॉलोनियां काटी गई हैं। इन्हीं कॉलोनियों में जलस्तर बढ़ने पर पानी भर जाता है।
तीन की बारिश ने ही कैसे मचा दिया कोहराम
इसके अलावा दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल, उत्तराखंड जैसे राज्यों में दो से तीन दिन के अंदर ही भारी बारिश ने भी समस्या को और बढ़ा दिया है। यदि यही बारिश लंबे समय में होती तो यमुना का पानी धीरे-धीरे आगे बढ़ जाता, लेकिन कम समय में ज्यादा बारिश ने दिल्ली, हरियाणा की मुसीबत को बढ़ा दिया।