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जब राष्ट्रपति के बांध दिए गए थे हाथ, महामहिम ने कहा था- 'आई एम हेल्पलेस'; जानें- चार दशक पुराना वाकया

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जब राष्ट्रपति के बांध दिए गए थे हाथ, महामहिम ने कहा था- 'आई एम हेल्पलेस'; जानें- चार दशक पुराना वाकया

बात 31 अक्टूबर, 1984 की है। देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। ये अंगरक्षक सिख थे। इसके विरोध में दिल्ली में सिखों के खिलाफ काफी गुस्सा भड़क उठा था। उस वक्त ज्ञानी जैल सिंह देश के राष्ट्रपति थे और यमन के दौरे पर थे। राष्ट्रपति विदेश यात्रा अधूरी छोड़कर उसी शाम 5 बजे स्वदेश लौट आए थे और दिवंगत प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) पहुंचे थे, जहां उन्हें गंभीर स्थिति में सुबह भर्ती कराया गया था।


राष्ट्रपति के काफिले पर पथराव, जलती मशाल:
जब राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का काफिला एयरपोर्ट से अस्पताल की तरफ बढ़ा तो उग्र लोगों ने उनके काफिले को आरके पुरम के पास रोकने की कोशिश की थी और जलती मशाल फेंकी थी। जब भीड़ इसमें असफल रही तो एक किलोमीटर की दूरी पर कमल सिनेमा के पास उनके काफिले पर पथराव किया गया था। सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी मशक्कत के बाद राष्ट्रपति को सुरक्षित एम्स पहुंचाया था। यह संभवत:पहला और अंतिम वाकया था, जब किसी राष्ट्रपति के काफिले पर पथराव किया गया था।


राष्ट्रपति का फोन काटा जा रहा था, बेटी ने बताया वाकया:
ज्ञानी जैल सिंह की बेटी डॉ. गुरदीप कौर ने करीब एक दशक पहले एक इंटरव्यू में उस वाकये का जिक्र करते हुए कहा था कि उनके पिता (राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह), प्रधानमंत्री गांधी की हत्या और उसके बाद भड़के दंगों से काफी परेशान थे। बतौर कौर देश भर में सिखों पर हो रहे हमलों को तुरंत रोकने के लिए राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने तब पीएमओ और गृह मंत्रालय के बड़े अधिकारियों को फोन लगाने की कोशिश की थी लेकिन कई कोशिशों के बाद भी किसी ने फोन नहीं उठाया था। कौर ने कहा था कि कुछ देर बाद राष्ट्रपति द्वारा फोन मिलाते ही काट दिया जा रहा था।

राष्ट्रपति ने पूछा था, क्या मेरे कंट्रोल में सबकुछ है:
राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के प्रेस सचिव रहे तरलोचन सिंह ने 1984 के सिख दंगों की जांच के लिए बने नानावती आयोग में सामने दर्ज अपने बयान में भी यह बात बताई थी।  मशहूर पत्रकार नारायण सामी ने भी इस वाकये का जिक्र अपनी किताब में किया है। किताब में कहा गया इंदिरा गांधी की हत्या की खबर सुनकर भारत आने से पहले राष्ट्रपति जैल सिंह ने अफसरों से पूछा था, "मैं देश का राष्ट्रपति हूं, क्या मेरे कंट्रोल में सबकुछ है?" तरलोचन सिंह बाद में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन बनाए गए थे।

राष्ट्रपति ने कहा था- आई एम हेल्पलेस:
तरलोचन सिंह ने नानावती कमीशन में दर्ज कराए गए अपने बयान में कहा था, "जब राष्ट्रपति के काफिले पर हमला हो रहा था, तब महामहिम ने दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल पीजी गवई से फोन पर पूछा था कि जब हालात नियंत्रण से बाहर हो गए हैं तो फिर सेना क्यों नहीं बुलाई जानी चाहिए ? इस पर एलजी ने जवाब दिया था कि अगर सेना बुलाई गई तो स्थिति और खराब हो जाएगी। बाद में जब बीजेपी नेता विजय कुमार मल्होत्रा ने राष्ट्रपति से यही सवाल पूछा तो उन्होंने कहा- "आई एम हेल्पलेस, आई कैन नॉट डू एनिथिंग" (मैं असहाय हूं। मैं कुछ नहीं कर सकता)।"

बतौर तरलोचन सिंह राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने विपक्षी नेता शरद यादव, कर्पूरी ठाकुर और चौधरी चरण सिंह को भी यही जवाब दिया था। राष्ट्रपति के बयान रंगनाथ मिश्रा, नानावती कमीशन में जमा हलफनामे में भी दर्ज हैं।