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राम मंदिर पर फैसला देने वाले पूर्व चीफ जस्टिस के खिलाफ मानहानि का केस, जानिए क्या है विवाद

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राम मंदिर पर फैसला देने वाले पूर्व चीफ जस्टिस के खिलाफ मानहानि का केस, जानिए क्या है विवाद

अयोध्या में राम मंदिर से लेकर राफेल और एनआरसी जैसे मुद्दों पर अहम फैसला देने वाले देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एवं राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया गया है। गोगोई के खिलाफ असम पुलिस वर्क्स (एपीडब्ल्यू) के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने यहां की एक अदालत में एक करोड़ रुपये की मानहानि का मामला दायर किया है। इसके साथ ही मिश्रा ने गोगोई की आत्मकथा पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका भी दायर की है।

शर्मा ने आत्मकथा में उनके (शर्मा के) खिलाफ कथित भ्रामक और मानहानिकारक बयानों के लिए गोगोई और रूपा प्रकाशन के खिलाफ मानहानि का यह मामला दायर किया है। रूपा प्रकाशन ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश की आत्मकथा ‘‘जस्टिस फॉर अ जज’’ का प्रकाशन किया है। शर्मा ने गोगोई और उनके प्रकाशक को ऐसी किसी भी पुस्तक के प्रकाशन, वितरण या बिक्री से रोकने के लिए अंतरिम आदेश देने का अनुरोध करते हुये एक याचिका भी दायर की है जिसमें शर्मा के खिलाफ कथित भ्रामक और मानहानिकारक बयान हों।

मानहानि का मामला और पुस्तक पर रोक लगाने के लिये याचिका यहां कामरूप मेट्रो जिला अदालत में दायर की गई। मंगलवार को इस पर सुनवाई हुई और अदालत ने बुधवार को कहा कि याचिका और दस्तावेजों को देखने के बाद यह पाया गया कि ‘‘कानून और तथ्य दोनों पर ठोस सवाल है, जिसका समाधान किया जाना है।’’अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता और प्रतिवादी दोनों को समन जारी करने का निर्देश दिया तथा सुनवाई की अगली तारीख तीन जून निर्धारित की।

पुस्तक पर रोक के मामले में न्यायाधीश ने, संबद्ध पक्षों को समन जारी करने का निर्देश दिया और इसकी सुनवाई की भी तारीख तीन जून तय की। एपीडब्ल्यू असम में मतदाता सूची से अवैध प्रवासियों के नामों को हटाने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने वाला पहला संगठन था, जिसके बाद पूर्वोत्तर राज्य में नागरिकों के राष्ट्रीय पंजी को अद्यतन किया गया था। शर्मा ने आरोप लगाया कि पुस्तक में उनके खिलाफ आरोप 'स्वाभाविक रूप से झूठे और दुर्भावनापूर्ण' हैं और उन्हें 'बदनाम करने के स्पष्ट इरादे' से लगाये गए हैं।