मणिपुर हिंसा में ऐक्शन में CBI, साजिश के आरोपों की जांच के लिए दर्ज कीं 6 FIR

Manipur Violence: मणिपुर हिंसा मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ऐक्शन में है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने हिंसा के आरोपों की जांच के लिए छह एफआईआर दर्ज की हैं। साथ ही, एक विशेष जांच दल का गठन भी किया है। तीन मई को मणिपुर में कुकी और मेइती समुदायों के बीच हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें लगभग 100 लोगों की जान चली गई और 35,000 से अधिक लोगों को विस्थापित होने पर मजबूर होना पड़ा।
सीबीआई की जांच के लिए मणिपुर सरकार द्वारा चुने गए छह मामलों में एक यह भी है कि क्या जातीय हिंसा पूर्व नियोजित तो नहीं थी। इस हिंसा के चलते लगभग प्रदेश में लगभग 3700 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। सबसे ज्यादा मामले इम्फाल के पश्चिमी जिले में दर्ज किए गए और फिर कांगपोकपी और बिष्णुपुर में। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नगा विधायकों के साथ एक बैठक में, उनसे कुकी और मेइती समुदायों के बीच एक पुल के रूप में कार्य करने और राज्य में शांति बहाल करने में मदद करने का आह्वान किया। कुकी विधायकों द्वारा अलग प्रशासन की मांग और नागा विधायकों द्वारा इस मांग से दूरी बनाए जाने की मांग के बीच यह बात सामने आई है। जिन छह पहाड़ी जिलों में कर्फ्यू नहीं लगाया गया है, वे ज्यादातर नगा बहुल क्षेत्र हैं।
वहीं, जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए संयुक्त तलाशी अभियान के दौरान कम से कम 35 हथियार और हथियारों के गोदाम बरामद हुए हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राजधानी इंफाल को असम और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वले राष्ट्रीय राजमार्ग-37 पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया जा रहा है, ताकि मणिपुर में आवश्यक सामानों की मुक्त एवं सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित की जा सके। अधिकारी के मुताबिक, बृहस्पतिवार को संयुक्त तलाशी अभियान के दूसरे दिन अलग-अलग तरह के 35 हथियार, गोला-बारूद व हथियारों के गोदाम बरामद हुए। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में एक महीने से अधिक समय से जारी जातीय हिंसा से प्रभावित लोगों की कठिनाइयों को कम करने के लिए सुरक्षा बल विश्वास बहाली के उपाय करने के साथ ही जन केंद्रित दृष्टिकोण अपना रहे हैं।
तलाशी अभियान के दौरान मजिस्ट्रेट भी मौजूद
अधिकारी के अनुसार, संयुक्त तलाशी अभियान के पहले दिन बुधवार को सुरक्षा बलों ने 29 हथियारों (ज्यादातर स्वचालित) के अलावा मोर्टार, हथगोले, गोला-बारूद आदि बरामद किए थे। उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में अफस्पा (सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम) लागू नहीं है, वहां तलाशी अभियान के दौरान मजिस्ट्रेट भी मौजूद थे। अधिकारी के मुताबिक, तलाशी अभियान के दौरान पर्याप्त उपाय किए जा रहे हैं, जिसका मकसद हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी के साथ-साथ समुदायों के बीच तनाव को कम करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थानीय आबादी को असुविधा न हो। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं।