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Haryana: फतेहाबाद के गांव भट्टू बुआन के ऐतिहासिक कर्ण कोट टीले को संरक्षण में लेगा पुरातत्व विभाग

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Haryana: फतेहाबाद के गांव भट्टू बुआन के ऐतिहासिक कर्ण कोट टीले को संरक्षण में लेगा पुरातत्व विभाग
हरियाणा के फतेहाबाद जिले के भूना कस्बे के गांव भट्टू में स्थित ऐतिहासिक कर्ण कोट टीले को अब पुरातत्व विभाग अपने संरक्षण में लेने जा रहा है। पुरातत्व विभाग नौ एकड़ जमीन को अपने संरक्षण में लेगा, इसके लिए इस जमीन पर काबिज किसानों को विभाग की ओर से नोटिस भी भेज दिया गया है। इस टीले का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि अक्सर बारिश के मौसम में यहां पर पुरातत्व महत्व की वस्तुएं मिलती रहती हैं। 

भूना के टोहाना रोड पर स्थित गांव भट्टू का कर्ण कोट टीला उस समय सुर्खियों में आया जब 2012 में इस टीले से गांव के युवा एवं सेफ्टी इंजीनियर अजय बिरोका को यहां से दो पहिये, आटा चक्की व मेहराब मिले। अजय बिरोका ने इन अवशेषों को देखा तो तुरंत पुरातत्व विभाग से संपर्क किया।


इसके बाद पुरातत्व विभाग की नजर इस टीले पर पड़ी। कर्ण कोट इस टीले का प्रचलित नाम है। मान्यता के अनुसार यहां पर जमीन में एक महानगर दबा हुआ है और यह करीब 35 एकड़ में फैला हुआ है। फिलहाल यहां पर पुरातत्व विभाग नौ एकड़ जमीन को अपने संरक्षण में लेगा।  
 
महाभारत काल में तोषाना के नाम से जाना जाता था कर्ण कोट टीला
यह नगर महाभारत काल में तोषाना के नाम से प्रचलित था, जिसका वर्णन पाणिनि की अष्टाध्यायी में भी मिलता है। जहां अर्जुन ने भगवान आशुतोष की तपस्या की थी, जिसकी वजह से ये तोषाना कहलाया। यहां से तपस्या के बाद अर्जुन वारणावत गए, जिसको बरनाला कहते हैं। 
 
महाभारत से मुगल काल के मिलते हैं सिक्के
यहां से महाभारत काल के ग्रेवियर के साथ-साथ मुगल काल के सिक्के, तलवारों के अवशेष, नंद वंश के सिक्के, गुप्त काल के निर्माण, ईस्ट इंडिया कंपनी की तलवारों के टुकड़े, तोपों के गोले, शतरंज के मोहरें, मंदिरों के भाग दीवारें, मिट्टी के खिलौने, मृदभांड, आटा चक्की, पहिये, पत्थर कि प्रतिमाओं के भग्नावशेष, महल के अवशेष, बाट, डाई, शीन, शुद्ध कैल्शियम के मनके, सीप, कौड़ी, खंजर की मूठ, शेर के दांत, हाथी दांत की चूड़ियों के टुकड़े आदि प्राप्त होते रहते हैं और वर्तमान में भी यहां अवशेष मिलना जारी है।


 
इन किसानों को मिला नोटिस
पुरातत्व विभाग ने इस टीले की नौ एकड़ जमीन को लेकर यहां पर काश्त कर रहे किसान राजपाल, बलराज, कुलदीप सिंह, मंजू बाला, ओमप्रकाश व गिरीश को नोटिस भेजे हैं। इसके बाद पुरातत्व विभाग की ओर से जमीन अधिग्रहण का कार्य शुरू किया जाएगा।
 
10 साल की मेहनत लाई रंग
गावं के ही एक शोधकर्ता अजय बिरोका ने लगातार दस वर्षों तक इस टीले पर शोध कार्य किया तथा महाभारत व अन्य प्राचीन किताबों से इस महानगर की जानकारी इकट्ठा की। फिर यहां के किसानों की मदद से तमाम चीजों को एकत्र किया तथा हरियाणा सरकार को ये साक्ष्यों के साथ अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने का निवेदन किया और इस ऐतिहासिक एवं महान सभ्यता को राष्ट्र के सामने लेकर आए।

मैं दस साल से इस ऐतिहासिक स्थल को देश व विदेश के सामने लाने का प्रयास करता रहा हूं। अब मेरी मेहनत सफल हो गई है। पुरातत्व विभाग अब इस भूमि को अपने संरक्षण में लेगा तो यहां पर खुुदाई का काम होगा और इतिहास से संबंधित अनेक बातें उभरकर सामने आएंगी। साथ ही यहां पर संग्रहालय का निर्माण भी होगा। -अजय बिरोका, कर्ण कोट टीले के खोजकर्ता।

गांव भट्टू में कर्ण कोट टीले को पुरातत्व विभाग अपने संरक्षण में लेगा। इसकी प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है और नौ एकड़ भूमि के लिए सात लोगों को नोटिस भी दिया गया है। इस टीले को पुरातत्व विभाग अपने संरक्षण में ले लेगा। यहां पर एक चौकीदार की नियुक्ति भी की गई है तथा जल्द ही यहां पर फेंसिंग का कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। -बुनानी भट्टाचार्य, उपनिदेशक, पुरातत्व विभाग, हरियाणा