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हरियाणा के फतेहाबाद जिले के जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान रोड जाम करने के 30 आरोपी बरी, फरवरी 2016 का था मामला

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हरियाणा के फतेहाबाद जिले के जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान रोड जाम करने के 30 आरोपी बरी, फरवरी 2016 का था मामला

अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए फैसला सुनाया है। पुलिस ने 34 आरोपी बनाए थे, जिनमें दो की कोर्ट ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है, एक नाबालिग था और पुलिस एक की पहचान नहीं दिखा पाई। फतेहाबाद-चंडीगढ़ स्टेट हाईवे जाम करने का आरोप था। 

हरियाणा के फतेहाबाद में साल 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान गांव जांडली कलां में स्टेट हाईवे जाम करने के 30 आरोपियों को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सविता कुमारी की अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।

गौरतलब है कि साल 2016 में जाट आरक्षण को लेकर पूरे प्रदेश में आंदोलन किया गया था। फतेहाबाद के गांव जांडली कलां के ग्रामीणों पर 22 फरवरी 2016 को फतेहाबाद-चंडीगढ़ हाईवे जाम करने का आरोप था। इस मामले में भूना थाना पुलिस ने तत्कालीन भूना थाना प्रभारी रामसिंह की शिकायत पर 24 लोगों को नामजद किया था जबकि 20-25 अन्य के खिलाफ रास्ता अवरूद्ध करने, धारा 144 की उल्लंघना करने, षडयंत्र रचने व पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने के अधिनियम 1984 की धारा तीन व चार के तहत केस दर्ज किया था।


शिकायत में थाना प्रभारी रामसिंह ने बताया कि धारा 144 लागू होने के बावजूद उपरोक्त लोगों ने कीकर के पेड़ काटकर सड़क पर गिरा रखे थे और फतेहाबाद-चंडीगढ़ हाइवे को जाम कर रखा था। इस दौरान वह ड्यूटी मैजिस्ट्रेट एवं भूना के बीडीपीओ रविंद्र कुमार के साथ मौके पर पहुंचा तो वहां पर लोग परेशान दिखाई दिए। जाम लगाकर खड़े लोगों को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन वह नहीं माने।

पुलिस ने 34 लोगों को बनाया था आरोपी
इस मामले में पुलिस ने जाम लगाकर खड़े लोगों की पहचान के बाद समत सिंह, रामनिवास, काला, बोबली, मुन्ना, नरसिंह, कुलदीप सिंह, मन्नू, रिअक, पालेराम, संदीप, दया सिंह, धर्मबीर, रमेश, निशांत, नवीन, टीटू, खन्ना, रामदिया, सुरेश, राममेहर, सुरेश, रामकुमार, संदीप, राजेश, काला, सोनू, रजनीश, रमन, बलिंद्र, सतीश,मनजीत व एक नाबालिग को आरोपी बनाया था और कोर्ट में 22 नवंबर 2019 को चार्जशीट पेश की थी। इस मामले में मुन्ना व रमेश की कोर्ट के ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी। वहीं नाबालिग को कोर्ट ने पहले ही छोड़ दिया।

एक आरोपी की पहचान नहीं दे पाई पुलिस
कुल 34 आरोपियों में से पुलिस एक आरोपी सोनू की पहचान नहीं दिखा पाई और उसे कोर्ट में पेश नहीं कर पाई। मामले में सात सालों के दौरान 13 गवाहियां हुई और अभियोजन पक्ष अदालत में सही साक्ष्य पेश नहीं कर पाया। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस के बाद साक्ष्यों के अभाव में 30 आरोपियों को बरी कर दिया।

अदालत में 34 आरोपियों पर केस चल रहा था। अदालत ने साक्ष्यों के अभाव से 30 आरोपियों को बरी कर दिया है, क्योंकि दो आरोपियों की कोर्ट ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी और एक नाबालिग था। इसके अलावा एक आरोपी की पहचान गलत पाई गई।