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फर्जी आयुष्मान कार्ड वाले हो जाए सावधान .लग सकता हे भारी जुर्माना जाने पुरे खबर

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फर्जी आयुष्मान कार्ड वाले हो जाए सावधान .लग सकता हे भरी जुर्माना जाने पुरे खबर 

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के तहत नकली स्वास्थ्य कार्ड, जिसके आधार पर बिहार के दो मरीजों की पटना एम्स में नि:शुल्क सर्जरी की गई थी, यह कार्ड यूपी और हरियाणा से बनाए गए थे, जो कि एक अंतर्राज्यीय रैकेट की ओर इशारा करते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स ने 26 मई को दो मरीजों- बक्सर नगर परिषद के कर्मचारी अविनाश कुमार ( 36) और भोजपुर के किसान अशोक सिंह (58) की कहानी को ब्रेक किया था। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अधिकारियों ने PMJAY के तहत दो सर्जरी के लिए 2.40 लाख से अधिक की मंजूरी दी थी। पटना एम्स में 9 मई को अविनाश कुमार और 15 मई को भोजपुर के किसान अशोक सिंह की सर्जरी हुई थी। अशोक सिंह को कैंसर था और उनकी 22 मई को मौत हो गई।

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के क्रियान्वयन के लिए बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति राज्य सरकार की नोडल हेल्थ एजेंसी है। यह राष्ट्रीय हेल्थ अथॉरिटी (NHA) के तहत काम करती है। इसी एजेंसी ने दोनों मरीजों को एम्स में भर्ती करने और उनका इलाज करने की मंजूरी दी थी। समिति की ओर से अविनाश कुमार के डबल वॉल्व ऑपरेशन के लिए 2.26 लाख रुपये और अशोक सिंह की सर्जरी के लिए 15,950 रुपये योजना के तहत जारी किए थे। 

बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अलंकृत पांडेय ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, जो पोर्टल का रखरखाव करता है और योजना के कार्यान्वयन का प्रबंधन करता है, ने पुष्टि की है कि दो फर्जी कार्ड यूपी और हरियाणा से जारी किए गए थे। उन्होंने कहा कि अविनाश कुमार का कार्ड यूपी से और अशोक कुमार सिंह का हरियाणा से जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि इलाज का खर्च संबंधित सीईओ द्वारा संबंधित कार्ड क्रिएटर्स से वसूला जाएगा। उन्होंने कहा कि एनएचए के निष्कर्षों के आधार पर, हम अब इलाज के लिए लागत की वसूली सहित मामले में कार्रवाई करने के लिए संबंधित राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरणों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को लिखेंगे।

दूसरी ओर, एम्स पटना ने कहा कि वह आयुष्मान भारत योजना को संभालने वाले सरकारी अधिकारियों से सर्जरी का खर्च वसूल करेगा। एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक डॉ गोपाल कृष्ण पाल ने कहा ने बताया है कि अविनाश कुमार पर ने कार्ड के द्वारा 2 लाख 26 हजार 200 रुपये और अशोक कुमार सिंह ने 14 हजार 500 रुपये का इलाज कराया था। हम आयुष्मान भारत से इलाज में खर्च हुए पैसों की वसूली करेंगे, जिसने रोगियों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण सहित सभी आवश्यक कदमों का पालन करने के बाद प्रक्रियाओं को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि हमने आयुष्मान भारत से आवश्यक स्वीकृति और मंजूरी प्राप्त करने के बाद ही मरीजों का इलाज किया। 

बिहार में 23 सितंबर 2018 को इस योजना की शुरुआत हुई थी, तब से लेकर अब तक पहली बार इसमें फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। ऐसे और कई मामलों का खुलासा हो सकता है। बताया जा रहा है कि लोग फर्जी आयुष्मान भारत कार्ड बनवाकर गैरकानूनी तरीके से मुफ्त इलाज की सुविधा ले रहे हैं। इस योजना से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि लोग फर्जीवाड़ा करने के लिए आधार आधारित बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सिस्टम में भी हेरफेर कर रहे हैं। गौरतलब है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना पीएम मोदी की फ्लैगशिप योजनाओं में से एक है। इसके तहत लाभार्थियों को सालाना 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है। इसमें केंद्र और राज्य 60:40 के आधार पर फंड शेयर करते हैं।