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तबाह हो जाएगा एक और बैंक! अमेरिका के बाद इस देश में गहराया संकट; विस्तार से समझें पूरी बात

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तबाह हो जाएगा एक और बैंक! अमेरिका के बाद इस देश में गहराया संकट; विस्तार से समझें पूरी बात
Credit Suisse Bank Problem Explained: अमेरिका में पहले सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon valley bank) और फिर सिग्नेचर बैंक (Signature bank) की जो स्थिति हुई है। उससे दुनिया भर में बैंकिंग सिस्टम को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इन दोनों बैंकों का मामला अभी ठंडा ही नहीं पड़ा कि एक और बैंक लेकर बुरी खबर आई है। पिछले कई महीनों से संकट में घिरे स्विटजरलैंड क्रेडिट सुईस बैंक की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। बुधवार को क्रेडिट सुईस बैंक (Credit Suisse Bank) के शेयरों में 30 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। हालांकि, आज बैंक के शेयरों में 30 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है। आइए जानते हैं कि क्रेडिट सुईस बैंक किस समस्या से जूझ रहा है। साथ ही इस बैंक के तबाह होने पर एक भारतीय को चिंता करने की कितनी जरूरत है?


क्रेडिट सुईस का क्या है मामला?

समय बीतने के साथ स्विटजरलैंड के दूसरे सबसे बड़े बैंक क्रेडिट सुईस की स्थिति बद से बदतर होती चली जा रही है। बुधवार को बैंक को एक और झटका लगा। सऊदी नेशनल बैंक ने क्रेडिट सुईस बैंक को आगे मदद करने से इनकार कर दिया है। जिसके बाद बैंक के शेयर 30 प्रतिशत से अधिक लुढ़क गए। बता दें, क्रेडिट सुईस बैंक में सऊदी नेशनल बैंक की कुल हिस्सेदारी 9.88 प्रतिशत है। बैंक ने स्पष्ट कर दिया है  कि अब वह क्रेडिट सुईस के और शेयर नहीं खरीदेगा। मौजूदा समय में स्विट्जरलैंड का दूसरा सबसे बड़ा बैंक इस समय निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए प्रयास कर रहा है। 

अमेरिका से भी आई बुरी खबर

ब्लूमबर्ग के अनुसार बुधवार को क्रेडिट सुईस को एक और झटका लगा। अमेरिका के Santander Consumer ने 942 मिलियन डॉलर के बॉन्ड बेचने की योजना पर रोक लगा दिया। इस फैसले से फंड जुटाने के प्लान पर बुरा असर पड़ा है। बता दें, बॉन्ड के जरिए कंपनियां फंड जुटाती हैं। उदाहरण के रूप में एक कंपनी को 1000 रुपये की आवश्यकता होती है। कंपनी ऐसी स्थिति में 100-100 रुपये के 10 बॉन्ड कर देती है। जिस पर एक फिक्स रिटर्न निवेशकों को मिलता है। बढ़ती महंगाई ने दुनिया भर के सेंट्रल बैंक को ब्याज दर बढ़ाने पर मजबूर किया है। ब्याज दर अधिक होने से बॉन्ड मार्केट पर बुरा असर पड़ता है। 

एनुअल रिपोर्ट में बैंक ने क्या बताया
इसी हफ्ते मंगलवार यानी 14 मार्च को क्रेडिट सुईस ने एनुअल रिपोर्ट प्रकाशित किया था। जिसमें बैंक ने कहा है कि उन्होंने अपनी भौतिक कमजोरियों की पहचान की है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक चौथी तिमाही में कस्टमर आउटफ्लो 120 बिलियन डॉलर था।  क्रेडिट सुईक पुराना टॉप मैनेजमेंट सवालों के घेरे में है। बैंक के लिए सबसे बड़ी चिंता क्रेडिट डिफाल्ट स्वैप है। जोकि 549 बीपीएस से बढ़कर 574 के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया है। यहां एक शब्द आ रहा है क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप, इस पर बात करने से पहले समझ लेते हैं कि आखिर बैंक इससे संकट के दौर से बाहर निकलने के लिए क्या कर रहा है?


क्या कर रहा है क्रेडिट सुईस बैंक

मौजूरा परिस्थितियों से उबरने के लिए क्रेडिट सुईस गुरुवार को बताया है कि वह 54 अरब डॉलर का उधार स्विस नेशनल बैंक से लेगा। बैंक ने कहा इससे लिक्विडिटी की समस्या में सुधार होगा। इस खबर के आने के बाद क्रेडिट सुईस के शेयरों में 30 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है। 

भारत के लोगों को क्या डरने की जरूरत है? 

इस सवाल का जवाब जानें उससे पहले 2008 के संकट की बात कर लें। अमेरिका के लेहमन ब्रद्रर्स के दिवालिया होते ही दुनिया की अर्थव्यवस्था घुटने के बल रेंगने लगी थी। अमेरिका का यह बैंक लोगों के पैसे को इंश्योर्ड करता था। इससे बॉन्ड से जोड़ते हुए अगर समझें तो ऐसे कहा जा सकता है कि एक इनवेस्टर्स ने 100 रुपये का एक बॉन्ड खरीदा। लेकिन उसे डर है कि बॉन्ड का पैसा डूब सकता है। जिसकी वजह से निवेशक कंपनियों या फिर बैंकों के पास इसके इंश्योरेंस के लिए जाते हैं। यहां वो कुछ पैसा देकर इंश्योरेंस खरीदते हैं। ऐसे में अगर बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी रिटर्न देने में असफल रही तो इंश्योरेंस कंपनी उसका भुगतान करेगी। इस पूरी प्रक्रिया को ही क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप कहा जाता है। अगर बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी रिटर्न देती रही तो कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन अगर वो फेल हुए तब पूरा दबाव इंश्योरेंस कंपनी पर आ जाएगा। ऐसे में कई बार इनके दिवालिया होने की संभवना बढ़ जाती है। लेहमन बद्रर्स के सामने यही समस्या आई थी। 

लेहमैन ब्रदर्स के दिवालियी होने के बाद दुनिया भर के देशों की आर्थिक गतिविधियों पर बुरा असर पड़ा था। भारत भी इससे अछूता नहीं था। ऐसे में अगर क्रेडिट सुईस बैंक भी दिवालिया हुआ तो भारत सहित दुनिया भर देशों पर बुरा असर पड़ेगा।