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हरियाणा में पशुपालकों ने कराया 3.40 लाख पशुओं का बीमा, जानिए क्या होगा किसानो का फायदा

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हरियाणा में पशुपालकों ने कराया 3.40 लाख पशुओं का बीमा, जानिए क्या होगा किसानो का फायदा

हरियाणा सरकार ने ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशुधन बीमा सुरक्षा योजना’ के तहत राज्य में 3 लाख 40 हजार पशुओं का बीमा किया है. पशुओं में फैल रही बीमारियों को देखते हुए बीमा काफी अहम हो जाता है. इस वक्त जिन पशुपालकों ने बीमा करवाया हुआ है वो लंपी स्किन डिजीज से नहीं घबरा रहे. इस योजना के तहत आवेदकों को 25 से लेकर 500 रुपए तक का प्रीमियम भुगतान करना होता है. यदि किसी कारण से पशु की मृत्यु हो जाती है तो उसके मालिक को मुआवजा दिया जाता है.


बताया गया है कि इसके तहत गाय का अधिकतम मूल्य 83000, भैंस का 88000 जबकि भारवाहक पशुओं का अधिकतम सुनिश्चित मूल्य 50000 रुपये है. इसी तरह बकरी, भेड़ और सूअर के लिए 10,000 रुपये तय है. यानी बीमा करवाने के बाद पशुओं की मौत पर इतनी रकम मुआवजे के रूप में मिलनी तय हो जाती है.


जारी हो रहा है पशु किसान क्रेडिट कार्ड
मशीनरी पर सब्सिडी के लिए ई-रुपे वाउचर दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में मांग आधारित विविधीकरण की आवश्यकता है. खेती को जितना बाजार से जोड़ा जाएगा और बाजार की मांग के अनुसार विविधिकरण किया जाएगा, उतनी ही आय बढ़ेगी. हरियाणा प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन दूध उपलब्धता में देश में दूसरे स्थान पर है. किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर ‘पशु किसान क्रेडिट कार्ड’ जारी किया जा रहा है.

कितना हुआ मछली उत्पादन
उधर, मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि मत्स्य पालन में संभावनाएं काफी अधिक हैं. राज्य में 12 रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम व 20 बायोफ्लॉक यूनिट की स्थापना की गई है. वर्ष 2021-22 में 2.09 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन किया गया. वर्ष 2022-23 में 2.10 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. वर्ष 2021-22 में 1250 एकड़ क्षेत्र में 2901 मीट्रिक टन सफेद झींगा मछली का उत्पादन किया. गोबर व कृषि अवशेषों से भी आय के लिए बायोगैस को बढ़ावा दिया जा रहा है.


प्राकृतिक खेती पोर्टल पर 2804 रजिस्ट्रेशन
मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य सरकार का पूरा फोकस इस बात पर है कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को ज्यादा बढ़ावा दिया जाए. किसानों को इस बारे में प्रोत्साहित किया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. हम रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती की ओर जा रहे हैं. प्राकृतिक खेती पोर्टल पर 2804 किसानों द्वारा रजिस्ट्रेशन किया गया है.